मैने लिखा है , पर विषय पर सोचें आप..सोचें, सोच का विस्तार करे और आप इसे सुनकर जो भी समझ रहे है, सोच रहे हैं..... निचे comments box मे जरूर, जरूर लिखे.... धन्यवाद....
मेरी यह कविता एक symbolic visualization हैं उस समय का जब हम उम्र के जिस पडाव मे हैं वहाँ से 10-15साल आगे कीओर होगें जब हमारे हमारे कतर्व्य पथ मे थोड़ा विराम आने लगेगा और उस समय जब हम कल-आज और कल के काल चक्र को देखेंगे तो शायद वो देखने मे कूछ ऐसा दिखे...
पुछने मे क्या जाता हैं ?.... ऐश्वर्य से परम-ऐश्वर्य तक को पाने का सुत्र...मेरी नई कविता । खुद सुने और दुसरो को सुनाऐ । जैसी भी लगे अपनी प्रतिक्रिया जरूर जरूर दे....😊😊
खुशहाल - संजय
दोस्तों,
मन का चोर कविता है, अपने अपने मन को बारे मे ।
हम सब सबका मन कैसा है ,कैसे व्यवहार ( behave ) करता है ...और हम सबको कम से कम ५-१० min से ४५ min तक ,रोज झाककर देखना चाहिए कि ये हमारा मन कहाँ जहाँ रहा हैं किधर जा रहा हैं ,जिधर जाना चाहिए क्या उधर जा रहा है....।
सुनिए, सुनाईये और अच्छी लगे या बुरी अपने विचार जरूर दिजिए...।
धन्यवाद...
आपका अपना : खुशहाल (Sanjay)
किराया नहीं देना हैं तो मकान खाली कर दो...
यह कविता दो part मे है । और इसकी theme लोककल्याण (part 1)और स्वकल्याण (part 2) को लेकर है ।
सुने,सुनाऐ और जैसी भी लगे ,अपने विचार जरूर दे ।।
#खुशहाल
आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास ' का अर्थ किसी कार्य विशेष की उपेक्षा कर किसी अन्य कार्य में लग जाना है।
आचार्य गुरुवर विशुद्ध सागर जी गुरु देव ने कुछ दिन पहले अपने प्रवचन मे एक सुत्र दिया ,
"*क्या करने आये थे , क्या करने लग गए *।। "
आज की contemporary life style उसी सुत्र को लगाने की एक छोटी सी कोशिश... आपको अगर मेरा यह प्रयास अच्छा लगे तो अपने विचार जरूर प्रेक्षित करें...।।
खुशहाल...।।
साधारणतः हम दिल और मन को एक मानते है, जब की वो होते अलग अलग है । हमारे स्वध्याय गुरू श्री अक्षय जी भैया जी ने दिल,दिमाग और मन कि अलग अलग विशेषताऐ बतलाई है और उसीको आधार लेकर प्रस्तुत हैं मेरी नई रचना दिल,दिमाग और मन।।
पसंद आऐ तो 5 नये लोगों के साथ share करेऔर अपने विचार अवश्य व्यक्त करे।।
"#खुशहाल 😊😊"