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Tatshri

  • 30 JULY History

    30 JUL 2019 · July 30, 2019 579 बेनेडिक्ट प्रथम का कैथोलिक पोप के रूप में शासनकाल समाप्त 657 सेंट विटालियन कैथोलिक पोप के बाद यूजीन१ के रूप में 1178 फ्रेडरिक बरब्रोसा को बरगंडी के रोमन सम्राट नियुक्त 1419 प्राग वनों की कटाई के विरोध में फैंसला देने पर कैथोलिक विरोधी हुसाइट्स, निष्पादित सुधारक जन हस के अनुयायी, तूफान प्राग टाउन हॉल और न्यायाधीश, महापौर और कई नगर परिषद सदस्यों को खिड़कियों से बाहर फेंक दिया। जिनमे से कुछ गिरने से मर गए या बाहर भीड़ द्वारा मारे गए| 1537 फ्रेंच और डच के बीच लम्बे समय से चल रहे युद्ध के बाद संघर्ष विराम 1601 राइन बर्च के स्पेनिश गैरीसन ने अर्ल मॉरीशस को आत्मसमर्पण किया| 1618 प्रिंस मौरिट्स की सेना उट्रेच में वापिस बुलाई| 1619 हाउस ऑफ बर्गेसेस वर्जीनिया में , पहली वैकल्पिक अमेरिकी गवर्निंग बॉडी बनाई गयी| 1646 अंग्रेजी संसद ने राजा चार्ल्स को इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम के रूप में न्यूकैसल प्रस्ताव प्रस्तुत किया| 1650 राजकुमार विलेम द्वितीय ने एम्स्टर्डम पर कब्जा कर लिया| 1653 जोहान डी विट ने हॉलैंड के पेंशन सलाहकार के रूप में शपथ ली 1655 डच सैनिकों ने फोर्ट असाहुदी सेराम पर कब्जा किया| 1678 अंग्रेजी सैनिक भूमि को फ़्लैंडर्स में शामिल किया गया| 1715 स्पैनिश संत लुसी, फ्लोरिडा के सोने और चांदी का बेडा गायब हुआ था| 1729 बाल्टीमोर शहर की स्थापना हुई| 1733 सोसाइटी ऑफ फ्रीमेसन ने बोस्टन में पहला अमेरिकी लॉज खोला| 1739 कैस्पर वाइस्टार ने न्यू जर्सी के एसेयास्टाउन में ग्लास निर्माण आरम्भ किया| 1756 बार्टोलोमो रस्त्रेली ने रूस में नवनिर्मित कैथरीन पैलेस ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ और उनके दरबारियों को भेंट किया। 1775 कप्तान जेम्स कुक इंग्लैंड में सम्मान के साथ लौटे| 1792 500 मार्सिलेशियन लोगों द्वारा फ्रांस के राष्ट्रगान को पहली बार गया गया| 1809 ब्रिटिश सशस्त्र बल द्वारा 39,000 भूमि वाल्चरन में अधिकृत की गयी| 1811 फादर मिगुएल हिडाल्गो वाई कोस्टिला, मैक्सिकन विद्रोह के नेता, मेक्सिको के चिहुआहुआ में स्पेनिश द्वारा निष्पादित किया जाता है 1822 जेम्स वरिक अफ्रीकी मेथोडिस्ट एपिस्कोपल सियोन चर्च के 1 बिशप बने| 1824 Gioacchino Rossini थिएटर इतालवी, पेरिस के प्रबंधक बने| 1825 मध्य प्रशांत में माल्डेन द्वीप ब्रिटिश युद्धपोत एचएमएस गोरा द्वारा खोजा गया| 1826 जावा के राजकुमार दीपो नेगोरो ने डच उपनिवेश पर हमला किया, जिसमे 82 लोग मारे गए| 1836 हवाई में पहला अंग्रेजी समाचार पत्र प्रकाशित हुआ| 1844 1 यूएस नौका क्लब - एनवाई यॉट क्लब का आयोजन जॉन कॉक्स स्टीवंस द्वारा और गिमट्रैक के 8 दोस्तों ने किया। 1863 १६वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने हर काले विद्रोही कैदी को गोली मारने के आदेश जारी किए| 1863 भारतीय युद्ध के दौरान शोसफोन जनजाति के प्रमुख पोकाटेल्लो बॉक्स एल्डर ने संधि पर हस्ताक्षर किया, जिसमे दक्षिणी इडाहो और उत्तरी यूटा में आप्रवासी ट्रेल्स को परेशान करने से रोकने का वादा किया| 1864 चैंबर्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया की लड़ाई में मैककॉस्लैंड की आज्ञा से केंद्रीय बलों ने पूरा शहर ही जला दिया| 1864 पीटर्सबर्ग की लड़ाई में जनरल बर्नसाइड्स क्रेटर ने युद्ध में पीटर्सबर्ग पर हमले में विफलता को स्वीकार कीया| 1865 नौंवे पोप पायस ने सूरीनाम का दौरा किया| 1866 न्यू ऑरलियन्स की डेमोक्रेटिक सरकार ने पुलिस को एक एकीकृत रिपब्लिकन पार्टी की बैठक पर हमला करने के आदेश दिए, जिसमें 40 लोग मरे और 150 घायल हुए| 1869 चार्ल्स, ने यूरोप से 7,000 बैरल तेल की थोक क्षमता वाला, दुनिया का पहला "तेल टैंकर" संयुक्त राज्य अमेरिका को रवाना किया| 1870 "वेस्टफील्ड" नामक स्टेटन द्वीप नौका में आग लगी जिसमे 100 की मौत हो गई| 1870 दक्षिण अफ्रीका में क्लीवप्रिफ्ट रिपब्लिक ऑफ ट्रांसवाल राष्ट्रपति एंड्रीज प्रिटोरियस द्वारा घोषणा की गई जिसमे हीरे की खोज के लिए छिपे खजाने की खोज करने वालों की बाढ़ आ गई; हीरे की खादानो का स्वामित्व बोअर गणराज्यों द्वारा खोजा गया था| 1872 महलन लूमिस ने वायरलेस टेलीग्राफी को पेटेंट करवाया| 1874 पहली बेसबॉल टीमें अमेरिका, बोस्टन-फिलाडेल्फिया के बाहर ब्रिटिश द्वीप समूह में खेलने के लिए गई| 1878 जर्मन एंटी-सेमिटिज्म, रीचस्टैग चुनाव के दौरान शुरू हुआ| 1884 नॉनपेरिल डेम्पसे और जॉर्ज फुलजम्स में मिडलवेट मुक्केबाजी प्रतियोगिता पहली बार हुई| 1900 ब्रिटिश पार्लियामेंट ने पहली बार खान धिनियम, श्रमिक मुआवजा अधिनियम और रेलवे अधिनियम विधेयक पारित किए| 1902 एंटी-यहूदी दंगाइयों ने रब्बी जोसेफ (NYC) के अंतिम संस्कार जुलूस पर हमला किया| 1905 पहला डच मजदूर संघ, डच NVV की स्थापना हुई| 1905 तीसरा टूर डी फ्रांस, फ्रांस के लुइस ट्रॉसेलियर ने जीता| 1907 रूस और जापान ने एक दूसरे के विशेष हितों को मान्यता देते हुए चीन की स्वतंत्रता की गारंटी देने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए| 1907 फिलिपिनो ने अपनी पहली विधायिका का चुनाव किया जिसका रिजल्ट 16 अक्टूबर को आया| 1907 विदेशी हमलावरों पर फ्रांसीसी बमबारी कैसाब्लांका और भूमि सैनिकों ने हमले के बाद मोरक्को के अटलांटिक-तट क्षेत्र पर कब्जा किया| 1908 पेरिस में विश्व ऑटोमोबाइल रेस समाप्त हुयी| 1909 जॉन हैदर बेसबॉल के नेशनल लीग के अध्यक्ष बने| 1909 राइट ब्रदर्स ने सेना को पहला सैन्य विमान दिया| 1909 फ्रांसीसी रसायनशास्त्री यूजेन शूलर ने ल'ओरियल को हेयर डाई की अपनी नई श्रेणी में स्थान दिया| 1911 9वीं टूर डे फ्रांस, फ्रांस के गुस्ताव गैरिगू ने जीता| 1913 दूसरे बाल्कन युद्ध का निष्कर्ष निकाला| 1914 ऑस्ट्रियाई-हंगरी और रूस ने आम लामबंदी की घोषणा की 1914 फ्रांसीसी सैनिक जर्मन सीमा से 10 किमी दूर हट गए| 1914 जॉन फ्रेंच ने ब्रिटिश सर्वोच्च कमांडर नियुक्त किया| 1914 प्रारंभिक अनिच्छा के बाद, रूस के ज़ार निकोलस II को ऑस्ट्रिया के जवाब में एक सामान्य लामबंदी के लिए समझोते में कहा कि 'उन हजारों - हज़ारों आदमियों के बारे में सोचो जिन्हें उनकी मौत के लिए भेजा जाएगा! 1916 जर्मन सैबोटर्स ने ब्लैक टॉम द्वीप, न्यू जर्सी में munitions plant को उड़ा दिया था| 1917 क्लीवलैंड मेट्रोपार्क के आयुक्तों की पहली बैठक हुई| 1921 दक्षिण अफ्रीका की कम्युनिस्ट पार्टी (CPSA) रूपों; 1953 में भूमिगत होने के बाद पार्टी ने अपना नाम बदलकर दक्षिण अफ्रीकी कम्युनिस्ट पार्टी (SACP) कर लिया| 1923 न्यूजीलैंड ने अंटार्कटिका में रॉस निर्भरता का दावा किया| 1926 अल्बानियाई सीमाएं कम हुईं| 1928 जॉर्ज ईस्टमैन ने न्यूयॉर्क एडिशन सहित थॉमस के घर में मेहमानों के लिए पहली शौकिया रंग गति चित्रों को दिखाया गया| 1930 एनबीसी-रेडियो पर "डेथ वैली डेज़" का पहला प्रसारण हुआ| 1930 प्रथम फीफा विश्व कप फाइनल, एस्टाडियो सेंटेनारियो, मोंटेवीडियो, उरुग्वे ने अर्जेंटीना को उद्घाटन समारोह में 4-2 से हराया| 1932 अमेरिका के लॉस एंजिल्स में एक्स ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल खुले| 1933 28वाँ डेविस कप: ग्रेट ब्रिटेन ने फ्रांस को पेरिस में (3-2) से हराया 1935 पहली पेंगुइन पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसमें पेपरबैक क्रांति शुरू हुई| 1937 रूसी पोलित ब्यूरो ने एनकेवीडी आदेश 00447 संख्या जारी करते हुए, पूर्व कुलाक और विरोधी सोविट्स को दबाने के लिए, 2,69,100 लोगों को गिरफ्तार और 76,000 लोगों को गोली मार दी| 1938 जनरल मेटाक्सस ने खुद को ग्रीस का प्रमुख बताया| 1939 टूर डी फ्रांस: बेल्जियम के सिल्वेरे मेस ने फ्रेंचमैन रेने विट्टो से अपना तीसरा खिताब जीता 1941 नीदरलैंड में एसडीएपी, वीडीबी, एआरपी, आरकेएसपी, सीएचयू और एसजीपी पर जर्मन कब्जाधारियों ने रोक लगाई| 1942 32वें अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी। रूजवेल्ट एफडीआर ने महिलाओं की नौसेना सहायक एजेंसी (WAVES) बनाने वाले बिल पर हस्ताक्षर किए| 1942 जर्मन एसएस ने मिन्स्क, बेलोरूसिया में 25,000 यहूदियों को मार डाला| 1942 जर्मन कब्जे वालों ने नीदरलैंड में यहूदियों पर कर्फ्यू लगाया| 1943 यूएस 45वें इन्फैंट्री डिवीजन में सैन स्टेफानो का कब्जा हुआ| 1944 टेस्सी-सुर-विरे और विलेबाउडन नॉर्मंडी पर भारी लड़ाई हुई| 1944 यूएस 30वें डिवीजन सेंट-लो नॉर्मंडी सिंकिंग शिप के उपनगरों तक पहुंच कर यूएसएस इंडियानापोलिस डूब गया| 1945 प्रशांत क्षेत्र में परमाणु बम पहुंचाने के बाद, क्रूजर यूएसएस इंडियानापोलिस जापानी पनडुब्बी I-58 द्वारा मार गिराया । चालक दल सहित 880 सैनिक मारे गए| 1946 व्हाइट सैंड्स, न्यू मैक्सिको ने जारी सन्देश में बताया कि उनके रॉकेट ने 100 मील (167 किमी) की ऊँचाई को प्राप्त किया| 1948 प्राइम-टाइम नेटवर्क टीवी पर पेशेवर कुश्ती प्रीमियर (ड्यूमॉन्ट) की शुरुवात 1948 लन्दन में हुए ओलंपिक में 10,000 मीटर रेस में एमिल ज़ोप्टेक ने 29: 59.6 में जीत हासिल की, जो एक ओलंपिक रिकॉर्ड है| 1949 ब्रिटिश युद्धपोत एचएमएस एमेथिस्ट यांग्त्ज़ी नदी में पहुँच गया, जिसमे 3 महीने तक चली वार्ता के बाद चीनी कम्युनिस्टों द्वारा मार्ग देने से इनकार कर दिया| 1952 फोर्ड फ्रिक ने अंतर लीग सौदों को रोकने के लिए छूट का नियम तय किया गया, जब तक कि एक ही लीग के सभी क्लबों को बोली लगाने का अधिकार नहीं मिल जाता| 1954 5वें ब्रिटिश एम्पायर गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स कनाडा के वैंकूवर में खुले| 1956 अमेरिकी आदर्श वाक्य "इन गॉड वी ट्रस्ट" अधिकृत 1960 प्रथम एएफएल प्रेस्क्रिप्शन गेम बोस्टन पैट्रियट्स ने बफ़ेलो में बिल को हराया (28-7) 1963 ब्रिटिश जासूस किम फिल्बी मास्को में पकड़ी गयी| 1964 अमेरिका नौसैनिकों ने Hon Ngu/Hon Mo पर फायर किया| 1965 चार्ल्स आइव्स "फ्रॉम द स्टेन्स एंड द माउंटेंस" प्रीमियर संपन्न 1965 ड्यूक एलिंगटन का "गोल्डन ब्राउन एंड द ग्रीन एप्पल" प्रीमियर। जैज संगीतकार और संगीतकार ड्यूक एलिंगटन| 1965 एलबीजे मेडिकेयर बिल पास लेकिन 1966 में प्रभावी 1965 मिल्वौकी के प्रबंधक बॉबी ब्रागन का कहना है कि उनके पिटर्स ने जायंट्स को 9-2 की हार में 75 से 80 स्पिटबॉल फेंके। 1966 बीटल्स का "कल ... और आज" एल्बम 5 सप्ताह तक नंबर वन बना रहा 1966 फीफा विश्व कप फाइनल, वेम्बली स्टेडियम, लंदन, इंग्लैंड: स्ट्राइकर ज्योफ हर्स्ट ने हैट ट्रिक बनाई क्योंकि इंग्लैंड ने अतिरिक्त समय के बाद पश्चिम जर्मनी को 4-2 से हराया। 1966 अमेरिका के हवाई जहाजों ने वियतनाम को बम से उड़ाया 1967 मिल्वौकी में दंगा 1968 वाश सीनेटर रॉन हैनसेन ने 41 वर्षों में 1 अनकांशस ट्रिपल-प्ले किया 1969 एस्ट्रो डेनिस मेन्के और जिम व्यान ने 9वीं सराय बनाम मेट्स में ग्रेंडस्लैम मारा 1969 बारबरा स्ट्रीसैंड ने लास वेगास के इंटरनेशनल होटल में लिबरेस के लिए खोला। 1969 केएईसी टीवी चैनल 19 में लुफ्किन, टेक्सास (एबीसी) में प्रसारण शुरू होता है 1970 अग-5 तूफान सेलिया, क्यूबा, फ्लोरिडा और टेक्सास में, 31 मरे| 1970 30,000 लोगों ने पाउडर रिज रॉक फेस्टिवल, मिडिलफील्ड, कनेक्टिकट में भाग लिया| 1970 दंगे ने उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट को मार डाला| 1971 38वां एनएफएल शिकागो ऑल स्टार गेम: बाल्टीमोर 24, ऑल स्टार्स 17 (52,289) 1971 जॉर्ज हैरिसन ने "बांग्लादेश" रिलीज़ की। जिसमे गायक-गीतकार जॉर्ज हैरिसन थे| 1971 जापानी बोइंग 727 एफ -86 फाइटर में हादसा, 162 की मौत| 1971 यूएस अपोलो 15 (स्कॉट एंड इरविन) ने चंद्रमा पर लैंड किया जिसमे मारे इमबरीम पर भूमि उतरे| 1972 “325 लोगों की मौत के बाद “बैरीमोर एनवाईसी में बंद हो गया" मौत का कारण नहीं माना गया| 1973 टेक्सास रेंजर्स जिम बिब्बी ने प्रथम-स्थान ओकलैंड को 6-0 से हराया 1974 हाउस न्यायपालिका समिति ने वाटरगेट कवर-अप में राष्ट्रपति निक्सन को महाभियोग लगाने के लिए "उच्च अपराधों और दुष्कर्मों" के तीसरे और अंतिम आरोप पर वोट दिया| 1975 साइमन ग्रे के "अन्यथा लगे" का प्रीमियर लंदन में हुआ 1975 अमेरिकी टीमस्टर के राष्ट्रपति जिमी हॉफ उपनगरीय डेट्रायट में गायब हो गए; 1982 में हॉफ ने कानूनी रूप से मृत घोषित कर दिया 1975 7वाँ सैन डिएगो कॉमिक-कॉन इंटरनेशनल ए
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  • एन आई ए संशोधन विधेयक से डर क्यों?

    16 JUL 2019 · 15 जुलाई 2019 को भारत की संसद में एक विधेयक पेश किया गया जिसका नाम था एन आई ए संशोधन विधेयक| वैसे तो यह विधेयक सरकार के बहुमत में होने के कारण पास हो गया लेकिन इसके विरोध में जो 6 वोट पड़े वे चिंताजनक थे| और साथ ही ओवैसी जैसे मजहब परस्त कट्टरपंथियों के लिए डर का विषय भी बने| तो इस पर चर्चा करते हुए पहले यह जानते हैं कि एन आई ए विधेयक क्या है? राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक (एनआईए विधेयक), भारत सरकार का एक कानून है जो आतंकवाद से लड़ने के लिए दिसम्बर, 2008 में भारतीय लोकसभा में पारित हुआ था। इस कानून में कई कड़े प्रावधान देने की बात कही गई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) बनाने का प्रस्ताव। •इस एजेंसी को विशेष अधिकार हासिल होंगे ताकि आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच तेजी से की जा सके। •अब यह जिम्मेदारी पकड़े गए व्यक्ति की होगी कि वह खुद को निर्दोष साबित करे। •एनआईए के सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को जांच के लिए स्पेशल पावर दी जाएगी। •एनआईए को 180 दिन तक आरोपियों की हिरासत मिल सकेगी। फिलहाल जांच एजंसी को गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर ही चार्जशीट फाइल करनी होती है। •विदेशी आतंकवादियों को जमानत नहीं मिल पाएगी। •एनआईए के अपने विशेष वकील और अदालतें होंगी जहाँ आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी। तो अब बात करते हैं कि जब इस विधेयक को 2008 में बनाया गया था तो इसमें बदलाव के लिए या नए क़ानून बनाने की आवश्यकत क्यों पड़ी? तो पहले तो वर्तमान में आतंकवाद के प्रति भारत के रूख को जानना जरूरी है| पिछले वर्षों में हुए आतंकी व नकस्ली हमलों में भारत ने अपना बहुत कुछ खोया है| जहाँ बहुत से स्थानों पर विकास कार्यों में रूकावटें आई है वहीँ भारत के जाने-माने धुरंधर नेता और सैनिक भी आतंक के शिकार हुए हैं| जिसे देखते हुए अंतर्राष्टीय स्तर पर भारत के दूसरी बार बहुमत से मनोनीत वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आतंकवाद से लड़ने के लिए पूरी दुनिया का सहयोग माँगा है| मोदीजी ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में आतंक को बर्दास्त करने के लिए देश मूड में नहीं है| मतलब अब जो भी बात होगी सीधे या तो मेज पर होगी या फिर समाधान सैनिकों द्वारा किया जाएगा| अब ऐसे में जो विदेशी आतंकवाद भारत में कार्यवाही को अंजाम देने के बाद भारतीय सुरक्षा और सविधान को धत्ता पहुंचाते हुए दूसरे आतंकी देशों में शरण लेने पहुँच जाता है तो ऐसे में भारत द्वारा क्या कार्यवाही की जा सकती है उस पर भारत के शीर्ष व बुद्धिमान अर्थशास्त्रियों, सुरक्षाविदों, नेताओं व मिडिया द्वारा चिंतन अनिवार्य हैं| जिसे ध्यान में रखते हुए लोकसभा ने 15 जुलाई 2019 सोमवार को ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019' को मंजूरी दे दी जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है| निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है| रेड्डी ने कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता| यह मानवता के खिलाफ है| इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है|' रेड्डी ने कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती| सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है और जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है| देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी| उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी| एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जाएगा| सदन ने मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया| जबकि इस विधेयक की चर्चा के दौरान ओवैसी ने कहा- डराइये मत, जिस पर भारतीय गृहमंत्री अमित शाह बोले- डराया नहीं जा रहा है, लेकिन डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है| इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की| गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए| इसकी हम भी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं| मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित किए जाने के लिए विचार करने के लिए रखने की अनुमति दे दी| गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है| आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं| आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है| ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं| उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं| कई बार जज का तबादला हो जाता है, पदोन्नति हो जाती है, तब अधिसूचना जारी करना पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं| हम इसे रोकना चाहते हैं| उन्होंने स्पष्ट किया कि एनआईए अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है| गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी| दोनों में तालमेल रहेगा| उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित समझौते पर दस्तखत करने या नहीं करने के सवाल पर कहा कि पुलवामा और बालाकोट आतंकी हमलों के बाद भारत ने बता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जांच कैसे होती है| उनका इशारा सजिर्कल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की ओर था| रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के समय ही एनआईए कानून में कई कानूनों को जोड़ा गया था लेकिन उस समय इस पर ठीक से काम नहीं हुआ और हम संशोधन लेकर इसे उन्नत बना रहे हैं| उन्होंने बताया कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की| इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोषसिद्धी हुई| रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है| उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो| उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है| अब बात करते हैं कि औवेशी सहित बाकी 6 सांसदों का इस विधेयक के प्रति विरोध दर्ज करवाने बारे| तो मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। लेकिन 6 सांसद जिन्हें लगता है कि यह विधेयक एक विशेष वर्ग के खिलाफ बनाया जा रहा है ने इसका विरोध किया है| इन सांसदों के मुखिया एवं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के अनुसार “हमें डराया जा रहा है” ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने बहस के दौरान कहा था कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश न करें। ओवैसी ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'क्या उन्होंने राष्ट्रभक्त और देशद्रोहियों की दुकान खोल रखी है?' हैदराबाद के सांसद ने आरोप लगाया, 'अमित शाह ने मेरी तरफ उंगली कर धमकाया लेकिन वह सिर्फ एक गृह मंत्री, भगवान नहीं। सांसद ओवेसी की उक्त बातों से कहीं इस बात की पुष्टि नहीं होती कि वे आतंकवाद का विरोध कर रहे हैं या एन आई ए एजेंसी का| लेकिन यह बात अवश्य स्पष्ट हो रही है कि वे कहीं न कहीं अपने देश को अराजकता में झोंक कर अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से इस प्रकार की बहस का भाग बनना चाहते हैं ताकि उनकी कौम या उनका समाज उनके प्रति आश्वस्त रहते हुए उनकी पार्टी को ही वोट करे| 2014 के चुनाव के बाद बंटा हुआ मुस्लिम समाज कईं क्षेत्रीय पार्टियों में विभाजित हो गया है जिस कारण ओवेसी जैसे नेताओं को असुरक्षा की भावना पनपनी अनिवार्य है| खोती हुई सत्ता, निचे से खिसकती हुई कुर्सी बचाने की चाह में देश की सुरक्षा को ताक पर रखने वाले ऐसे खुदावर नेता स्वार्थ की राजनीति में इतने खो जाते हैं कि उन्हें असलियत कहीं कोसो दूर तक नजर नहीं आती| ओवेसी जैसे नेताओं की बेतुकी बहस किसी अंजाम तक पहुंचे या नहीं लेकिन जनता को गुमराह करने का कार्य अवश्य कर जाती है| जिससे देश में अराजकता फैलाने वाली विदेशी ताकतों को बल मिलता है और यही देश के विकास में रोड़ा भी साबित होता है| ऐसे में स्वार्थी नेताओं का तो कोई नुक्सान नहीं होता लेकिन देश हर बार एक सदी पीछे अवश्य चला जाता है|
    11m 9s
  • Polluted water, air, soil for future generations

    15 JUL 2019 · 10 मिनट की तेज बारिश के बाद मौसम खुशनुमा हो जाता है| 10 मिनट की बारिश के बाद होने वाली बारिश का पानी पौधों, जलीय जीवों एवं मनुष्य के पीने लायक होता है| ऐसा लगता है कि ये बातें केवल अब ख़्वाब की बातें हैं| क्योंकि दो दिन लगातार बारिश होने के बावजूद बारिश के पानी में कार्बन तत्वों का पाया जाना इस बात का सूचक है कि विकास के नाम पर पनपने वाले व्यवसायिक उद्योग हमें विकास नहीं विनाश को और ले जा रहे हैं| उत्पादन की अंधी दौड़ में लगा इंसान प्रकृति जल, मिटटी और वायु को प्रदूषित करता आठों दिशाओं में गंदगी फैलाने का कार्य कर रहा है| वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के बाद भी नए वृक्षों का न लगाया जाना, वायु, मिटटी और जल में निरंतर कार्बनिक पदार्थों को मिलाने के बावजूद स्वच्छ पर्यावरण के झूठे दावे पेश करना, विभिन्न जहारिलें रसायनों से नई-नई बीमारियों को उत्पन्न करने वाला इंसान झूठ के आडम्बर में इतना ढक गया है कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा भी नजर नहीं आ रहा| फसलों के लिए उपयोगी बताई जाने वाली यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। लेकिन भारत में यूरिया ने 19वीं सदी में प्रवेश किया, जिसका नतीजा यह रहा कि किसान अपने जीवन से पालतू दुधारू जानवरों को कम करता चला गया, क्योंकि उसे लगता था कि गोबर की गंदगी से छुटकारा पाकर वह गोबर का कार्य यूरिया से संपन्न कर लेगा| आरंभिक समय में फसलों की बढती पैदावार ने यूरिया को पूरे देश में एक बीमारी की तरह गाँव-गाँव में पहुंचा दिया| लेकिन आवश्यकता से अधिक इस्तेमाल के कारण यूरिया के रासायनिक तत्व भारतभूमि को कठोर बनाते चले गए| और नतीजा उपज कम हो रही है और जमीन के बंजर होने की शिकायतें भी बढ़ती जा रही हैं, इसलिए किसान यूरिया से तौबा करने लगे हैं। एक हालिया अध्ययन में पहली बार भारत में नाइट्रोजन की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है जो बताता है कि यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल ने नाइट्रोजन चक्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। आज का वक्त इतना एडवांस हो गया है कि गांव हो या शहर अंग्रेजी बोलना अब सिर्फ ट्रेंड ही नहीं बल्कि लोगों की जरूरत भी बन गया है। यह केवल अंग्रेजी बोलने तक सिमित नहीं अंग्रेजी दवाओं का चलन तो अंग्रेजी बोलने से भी कईं गुना बढ़ चूका है, लेकिन अंग्रेजी दवाएं बनाने वाली कम्पनियां आपके सुखद स्वास्थ्य की कामनाएँ करें ऐसा कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आता, एक वृहद् कारोबार के तहत पनपता यह बाजार भी मानवजगत के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है| दवा बनाने के बाद निकला कचरा जहाँ मिटटी और वायु को प्रदूषित कर रहा है वहीँ अँधाधुंध दवाओं के सेवन के दुष्परिणाम भी शरीर और मन पर आघात कर रहे हैं| हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को एक विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें बताया गया कि ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर इन दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा माना जा रहा है कि अभी सरकार 500 और दवाओं पर बैन लग सकती है, जिन्हें देशभर में बेचा और इस्तेमाल किया जा रहा है। इन दवाओं के अलावा 6 एफडीसी (फिक्स डोज कॉम्बिनेशन) दवाएं ऐसी भी हैं, जिनकी खुली रोक पर बिक्री लगाई गई है यानी इन दवाओं को बिना डॉक्टर के लिखे पर्चे के नहीं खरीदा जा सकेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इन दवाओं के बैन होने से 1500 करोड़ रुपए का दवा कारोबार प्रभावित होगा। लेकिन इतने मात्र से क्या हम खुद को सुरक्षित रखने में कामयाब हो जायेंगे? भारत का कपड़ा उद्योग कभी चरम सीमा पर था और शहर के शहर विभिन्न प्रकार के कपड़ों की कारागिरी के नाम से आज भी प्रसिद्ध हैं| लेकिन सस्ता माल बनाने की चाह में घटिया कैमिकल से कपडे के रंगों का चयन नायलॉन सादा कपड़े, कोट, वर्दी, शर्ट, पतलून, जैकेट का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है| गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए उत्पादन, रंगाई, कपड़ों की प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं अनेक विभाग बना कर उत्पादकों पर नजर रखने का कार्य किया जा रहा है लेकिन बावजूद इसके धरातल और जीवन को विनाश के गर्त में धकेलने वाले प्रसाधनों का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है यही नहीं सरकार की नजर में ना आये इसके लिए उत्पादन स्थल पर ही गहरे खड्डे बना कर रंगाई में प्रयुक्त घातक कैमिकल जमीन के पानी में फेंक दिए जाते हैं जिससे भूजल भी प्रदूषित हो रहा है| और ऐसे ही कैमिकल द्वारा निर्मित वस्त्र मनुष्यों में चर्म रोगों के विकास का कारण भी बन रहे हैं| धातुओं पर नित नए प्रयोगों में भी घातक रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है और फिर यही कचरे के रूप में नदी नालों में प्रवाहित कर दिया जाता है| जिससे जलीय जीवन तो प्रभावित होता ही है साथ ही भूजल, नदी व नालों का जल भी भयंकर प्रदूष्ण की स्थिति को क्रियान्वित करता है| जिससे बच्चों में घटता कद, दूषित मानसिकता, अविकसित अंगों के दृश्य, साधारण तौर पर देखे जा रहे हैं| पेयजल संकट से जूझ रहे इलाकों में इस प्रकार के नदी-नालों से पीने के लिए पानी का इस्तेमाल ज्यादा घातक सिद्ध हो रहा है| जिससे बच्चों में ही नहीं अपितु पूर्ण जीव जगत में भयावह रोगों का संचार देखने में आ रहा है| मोदी सरकार ने कुछ बारह माह बहने वाली नदियों को प्रदुषण मुक्त करने का बीड़ा तो उठाया है लेकिन जो घातक केमिकल इस प्रकार की औद्योगिक इकाइयों से बह कर जीवन को अस्त-व्यक्स्त करने में लगे उस पर किसी प्रकार की जवाबदेही सरकार की नहीं बनती? बढती मंहगाई पर लगाम लगाने के चक्कर में, उत्पादन क्षमता को सरल बनाने की चाह में, अधिक से अधिक उत्पादन कर, दुनिया को घनचक्कर बनाने की होड़ में सबसे आगे हैं प्लास्टिक| लेकिन कई शोधों से यह बात सामने आई है| कि प्लास्टिक के बने सामान को हम जितना सुलभ और आसानी से इस्तेमाल में लाते हैं वह हर किसी के लिए हानिकारक है| प्लास्टिक से सिर्फ इंसान को ही नहीं बल्कि पेड़, पौधे, जमीन, मिट्टी, जल, और वायु सबको नुकसान हो रहा है लेकिन सब जानते हुए भी हम इनका इस्तेमाल रोकने की जगह बढा रहे है| प्लास्टिक की बोतल में पानी लेकर रखना और पीना आज कल का फैशन बन गया है| लेकिन इन बोतल में मिले हुए रसायन पानी में मिलकर पानी को नुकसानदेह बना सकते है| प्लास्टिक के सामान के उपयोग से 90% कैंसर की संभावना होती है| यह वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित किया जा चूका है| बहुत से देशों ने रोजाना के खाद्य प्रदार्थों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध भी लगाया है| इसके बावजूद बहुत स विकसित देशों अमेरिका में 109, यूरोप में 65, चीन में 45 और ब्राजील में 32 किलो प्रति व्यक्ति जबकि भारत में 9.7 किलो प्लास्टिक प्रति व्यक्ति खपत का आंकड़ा है और यह प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है| पैट्रोल, डीजल सहित अनेक गैसों का बढ़ता असीमित उपयोग भी वातावरण को नुक्सान पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो रहा है| साधारण तौर पर देखने में तो लगता है कि ये तेल और गैसें इस्तेमाल के बाद समाप्त हो जाते हैं लेकिन होता इसका उलट है| ये सभी तेल और गैसें तरल रूप से गैस रूप में परिवर्तित हो हवा में मिल जाते हैं| निरंतर बढती गाड़ियों और वाहनों का कारवाँ जहाँ धरती पर बोझ के रूप में बढ़ता जा रहा है, वहीँ इससे होने वाले प्रदूष्ण के चलते हवा भी मलीन हो रही है| उपरोक्त संसाधन कहने को तो मानव जीवन की तरक्की के साधन बने हैं लेकिन वैभवशाली जीवन जीने की चाह रखने वाला मानव अपनी आने वाली पीढ़ियों को खैरात में प्रदूषित जल, प्रदूषित वायु, प्रदूषित मिटटी दे रहा है| न तो हम अपने बच्चों को अपने संस्कार देने में कामयाब हुए हैं और न ही स्वस्थ वातावरण| सारी जिम्मेदारी सरकार पर डाल कर अपने कर्मो से च्यूत होता इंसान अपने लिए नर्क का निर्माण करने में लगा है| आलस से भरपूर वैभव जीवन को अपनाता यह गंदगी फैलाने वाला इंसान क्या अपनी उस पीढ़ी के बारे में भी नहीं सोच सकता जिसे वह दिलों-जान से अपना सब कुछ देने के लिए तैयार रहता है?
    9m 55s
  • Papa ki pari ko papa se khatra Sakshi Mishra

    14 JUL 2019 · जब से सोसल मिडिया एक्टिव हुआ है तब से “पापा की परी” किरदार बहुत सुर्खियाँ बटोरता नजर आया| यहाँ तक की इस किरदार पर बहुत से चुटकुले और कहानियां भी बनी| जिसमे बड़े भाई द्वारा पापा की परी को उड़ाने के लिए छत से फेंकना, परी को उड़ाने के लिए कवायदें करना आदि शामिल था| यहाँ तक कि अपनी सोसल मिडिया का प्रोफाइल नेम भी बहुत सी लड़कियों ने “पापा की परी” ही रखा| अपने पिता पर संतोषजनक विशवास पुत्रियों में पाया जाना असहज नहीं है अपितु स्वाभाविक है| लेकिन हाल ही में अनजान लड़कों के साथ लड़कियों के घर से भागने की घटनाओं ने इस किरदार पर उंगलियाँ उठा दी है| ऐसे ही एक प्रसिद्द किरदार साक्षी मिश्रा उम्र मात्र 19 वर्ष ने घर से भाग कर अपने ही पड़ोस के एक अधेड़ उम्र के नामी हथियार पसंद गुंडे अजितेश उर्फ़ यो यो अभी सिंह नायक उर्फ़ अजी ठाकुर के साथ विवाह कर अपने पिता से जान का खतरा होने की वीडियो सोसल मिडिया में डाल कर पापा की परी की सुरक्षा को पापा से ही खतरा बता दिया| यही नहीं जनता के विशवास के बल पर कईं बार चुनाव जीत कर विधायक की कुर्सी पर विराजमान अपने पिता को खलनायक बना डाला| आजतक टीवी चैनल पर दिए अपने साक्षात्कार में अपने पिता से माफ़ी मांगते हुए साक्षी ने अपने पिता पर यह आरोप तक लगाया कि उसके पिता उससे अधिक उसके भाई को तवज्जो देते हैं और उन्हें अपने कार्यों में साथ रखते हैं| पिता राजेश मिश्रा पर आरोप लगाते हुए साक्षी ने यह तक कह दिया कि उसके पिता उसकी भावनाओं को नहीं समझते और घर में उसकी दुर्दशा का कारण भी उसके पिता और भाई ही है| अपने साक्षात्कार में साक्षी ने विद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर पर भाई और पिता ने साथ दिया को नहीं झुठलाया लेकिन उसके बावजूद लड़कपन में खेलने-झूलने की उम्र मात्र में अपने पिता की उम्र के व्यक्ति में पति की छवि देखने वाली नवयोवना की शिकार साक्षी अपने भाई और पिता को अपने विरूद्ध खड़ा देखती है| यहाँ तक कि 19 वर्ष जिस पिता की गोद में बिताए हैं उससे अधिक विशवास वह उस अपराधी में बता रही है जिसका बरेली के हर थाने में रिकार्ड दर्ज है| भारतीय संस्कृति के अनुसार कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के विमुख नहीं होता लेकिन बच्चों के भावी भविष्य को ध्यान में रखते हुए सही जीवन साथी का चुनाव कर अपनी प्राणों से प्रिय पुत्रियों को विदा करने में अपनी शान समझते हैं, इसके विपरीत यदि अपराधिक प्रवृति का परिवार या गलत चरित्र का व्यक्ति उनकी पुत्री के जीवन में दखलंदाजी करता है तो वे उसका विरोध इसी कारण करते हैं कि कहीं उनकी लाडली का भव्य जीवन का सपना किसी दलदल में न फंस कर रह जाए| और यहाँ तो बात एक ब्राहमण वर्ग के उस व्यक्ति की है जो अपने कंधे पर पूरे जनपद की जिम्मेदारी ढो रहा है| क्या वह अपने बच्चों का अच्छा नहीं सोचेगा? क्या वह अपने बच्चों के साथ नाइंसाफी बर्दास्त करेगा? क्या एक पढ़ा-लिखा जनप्रतिनिधि पिता अपनी लाडली के इस कार्य से प्रसन्न होगा? इन्ही बहुत से सवालों से घिरा यह वीडियो जनता में आग तरह वायरल हुआ, जहाँ मिलीजुली प्रतिक्रिया इस वीडियो पर देखने में आई| कुछ फ़िल्मी लोगों के अनुसार लड़की का पिता यहाँ विलेन का रोल अदा कर रहा है उसे अपनी पुत्री को इस प्रकार धमकाना नहीं चाहिए था| कुछ लोगों ने संस्कृति की दुहाई देते हुए कहा कि घर से भागने वाली लड़की को अपने पिता की मर्यादा का एक बार भी ख्याल नहीं आया| खैर लोगों की प्रतिक्रिया जो भी रही हो, इस वीडियों के साथ अजितेश और साक्षी को लेकर भारतीय विपक्ष को भगवान समझने वाले मिडिया को भाजपा को बदनाम करने का एक और मौक़ा हाथ लगा जिसे वे किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते थे| और इसी कड़ी में यूपी न्यूज और आजतक टीवी चैनल ने अहम् भूमिका भी अदा कर दी जिसमे सीधे सीधे साक्षी के पिता, बरेली के भाजपा विधायक पर इल्जाम लगाया गया कि वे प्यार के दुश्मन है और नाजायज गुंडागर्दी कर रहे हैं| जबकि मिडिया की जिम्मेदारी के अनुसार दोनों पक्षों के बारे बिना सुने इस प्रकार का इल्जाम लगाना न तो मानवीय तरीके से सही था और न ही भारतीय कानून के अनुसार| इसके बावजूद खुद को मिडिया के भगवान बने ये बिकाऊ पत्रकार एक पिता, एक जनप्रतिनिधि को सवालों के कटघरे में खड़ा कर विलेन सिद्ध करने में लगे नजर आए| और इसी के साथ भारत की वर्तमान मोदी सरकार पर निशाना लगाने से भी नहीं चुके| इस प्रकार के दोषयुक्त प्रयास का विरोध करने के लिए बरेली जनपद के लोगों ने विधायक राजेश मिश्रा के विशवास में सोसल मिडिया पर एक वीडियो वायरल किया जिसमे अभी सिंह उर्फ़ अजितेश को हथियारों के साथ फोटो भी वायरल किए गए| यहाँ तक कि अजितेश की पहली सगाई का फोटो भी वयारल किया गया जिसमे दहेज़ के लेनदेन के चलते सगाई टूटने की बात पहली लड़की के पिता द्वारा स्वीकार की गयी| चलो! बात चाहे किसी की भी कोई भी रही हो, लेकिन बचपन से जवानी की दहलीज तक साथ देने वाला पिता आज एक अनजान व्यक्ति के लिए अपराधी बना खड़ा अपनी बेबसी के आंसू रो रहा है वहीँ दूसरी और तमाशबीन मिडिया अभी सिंह और साक्षी को साथ लेकर नवदम्पत्ति का साथ देने का झूठा भरोसा देकर बाप-बेटी के रिश्ते को तार-तार करने में लगा है|
    6m 27s
  • aam-budget-2019

    6 JUL 2019 · नमस्कार दोस्तों मैं तातश्री और आप सुन रहे हैं तातश्री रेडियो दोस्तों! पहली बार किसी भारतीय ने भारत के लिए बजट पेश किया है, भारतीय के लिए बजट पेश किया है| बही खाते के समान, लाल कपडे में लिपटे, दस्तावेज, भारतीय संस्कृति की पहचान करवाते, भारत की प्रथम, पूर्वकालिक महिला वित्तमंत्री के हाथ में सुशोभित ऐसे लग रहे थे मानो भादरिया माता स्वयं भारत का स्वर्णिम भविष्य हाथ में लिए साक्षात रूप में प्रकट हुई हो| एक लम्बे समय के पश्चात एक सुद्रिड सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट से पूरी दुनिया की चाहत बनी हुई थी| लेकिन पुरानी होड़ को खंडित करते हुए नवभारत के स्वप्न को पूरा करने की चाहत लिए स्वयं 33 करोड़ देवी-देवता अब भारत के निर्माण का फैंसला कर चुके हैं और राक्षस इसके विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं| सत्तालोलुप, नशे में चूर सत्ता खो चुके स्वेच्छिक नेता इस बजट के विरोध में इसलिए हैं क्योंकि वे सत्ता चाहते हैं उन्हें देश के बजट से कोई सरोकार नहीं| क्योंकि उन्हें खाने को कुछ नहीं मिल रहा| क्योंकि वे अजगर अब देश की अर्थव्यवस्था को ढकार नहीं पायेंगे| जबकि पहली बार, बजट 2019 में हर जरूरतमंद भारतीय को भीख देने की बजाए उसकी सहायता का सार्थक प्रयास किया गया है| लालची कांग्रेस की पांच पीढ़ी क्या अगली पांच पीढ़ी भी ऐसा बजट देने में सक्षम नहीं है क्योंकि वे केवल घोटाले और लूट चाहते हैं| विपक्ष के हाथ में तेल के दामों की न्यूनतम वृद्धि का झुनझुना थमा कर देश को विकास की ओर अग्रसर करने के लिए देश के अनुसन्धान को बढ़ावा, रेलवे एवं सडक निर्माण में तेजी, शिक्षिक प्रणाली में सुधार, एन आर ऍफ़ का पंजीकरण, खेलो भारत को प्रोत्साहन, रेलवे आधुनिकीकरण, महिला उद्यमिता को बढ़ावा, जन धन खातों में ओरव ड्राफ्ट की सुविधा, महिलाओं को अलग से ऋण सुविधा, बिना पैन कार्ड के टेक्स जमा करने की सुविधा, बैटरी एवं सोलर से चलने वाले वाहनों में विस्तार, प्रदूष्ण पर लगाम, कैशलेस भारत बनाने की मुहीम ताकि लेन-देन सीधा खातों से हो सके और किसी प्रकार का भ्रष्टाचार होने पर पकड़ में आ सके| अब इतने सारे कार्य होंगे और सभी सीधे विनिमय ऑनलाइन सिस्टम द्वारा होंगे तो चोर-लुटेरों को तो अटपटा लग ही सकता है| अब कोई भारतीय बजट को 10 में से 0 नंबर दे तो वह केवल अपनी तुच्छ व गद्दार मानसिकता को तुष्ट करने में लगा है| जयहिंद जय भारत|
    3m 12s
  • Do not let go of the security of your security

    17 JUN 2019 · अपनी सुरक्षा के चक्कर में न जाने किस राह पर चल पढ़े हम अब यह सच लगने लगा है कि दुनिया बेहद खतरनाक जगह बन गई है| लेकिन सब कुछ अंधकार और मायूसी से घिरा नहीं है| हमारे पास कुछ महान जीतें और कामयाबियां भी हैं| जैसे-जैसे हम पुरानी व्यवस्था को इतिहास के कूड़ेदान के हवाले कर रहे है, वैसे ही हम दावा करते हैं कि हम नई व्यवस्था की और बढ़ रहे हैं लेकिन जिस प्रकार तीव्र गति हमारा वाहन से नियंत्रण खो देती है उसी प्रकार नई व्यवस्था भी हमारी पहुंच से बाहर नजर आ रही है| दुनिया एक धुंधले, कुछ अस्पष्ट-से और कई मायनों में तो खतरनाक, नए घटनाक्रम की तरफ बढ़ती जा रही है, और सच कठघरे में खड़ा है अपनी आजादी की भीख मांग रहा है| और आजादी बौद्धिकता की बंद गली में फंसकर रह गई है| एक ओर जबरदस्त महामंथन चल रहा है| अमेरिका जैसे सरीखे देश दुनिया की अगुआई की अपनी भूमिका करना चाहते हैं लेकिन युद्धक सामान के व्यापार को बढाने में लक्ष्य निर्धारित करने वाले ये देश केवल युद्धों की अगवाई में अग्रणी रहना चाहते हैं| दुनिया में अमन शान्ति की बात कोई नहीं चाहता| अमेरिका तो अपने देश में वह खुद अपने ही व्हाइट हाउस और सुरक्षा प्रतिष्ठान के साथ जंग में लगा है अमेरिका में अफरा-तफरी फैली है| दूसरी और चीन जैसा देश जो दुनिया पर काबिज होने के सपने देखता है, का उभार बेरोकटोक जारी है| अब वह दुनिया को सस्ता माल उपलब्ध करवाने वाली फैक्ट्री भर नहीं, बल्कि विश्व के मंच पर बाहुबली और आक्रामक ताकत बनता जा रहा है और वर्ड सुपर पावर बनने की राह पर है| तिब्बत पर कब्जे के बाद उसी तर्ज पर अब पाकिस्तान में कार्य आरम्भ है| राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की अगुआई में रूस लगातार शिकार की खोज में घूमता गुर्रा रहा है| अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उनकी दखलअंदाजी अमेरिका की घरेलू सियासत पर भारी है| विडंबना देखिए, यह उसी राष्ट्रपति की जड़ों को खोखला कर रही है जिसे पुतिन जिताना चाहते थे| यूरोपीय संघ तार-तार हो रहा है| ब्रेग्जिट और शरणार्थी संकट के बाद यूरोपीय संघ के कई देश एक नए किस्म के राष्ट्रवाद का उभार देख रहे हैं, जिसने हाल के इतिहास में राष्ट्रों के सबसे प्रगतिशील संघ की बुनियादें हिला दी हैं| यह असल में इतिहास के गाल पर एक तमाचा है| पश्चिम एशिया लगातार लपटों से घिरा है| यह मजहबी उग्रवाद और बर्बर लड़ाइयों से जार-जार है जिनका कोई अंत दिखाई नहीं देता| यह दो महाशक्तियों के खूनी खेल का मैदान बना हुआ है| उधर, अफगान जंग जारी है जहां अमेरिकी मौजूदगी का 17वां साल पूरा हो रहा है| यहां वह एक ऐसी जंग लड़ रहा है जिसे न तो वह जीत सकता है और न ही हारना गवारा कर सकता है| एक और जहाँ वह अफगानिस्तान को तनावमुक्त करवाने के लिए दुनिया को सब्जबाग दिखा रहा है वहीँ अन्दर ही अन्दर उसके विरोधी देशों को भी युद्धक सामान की मदद मुहैया करवा रहा है | जिससे एटमी अस्थिरता फिर आ खड़ी हुई है| नेता इस तरह बर्ताव कर रहे हैं जैसे लड़के खिलौनों से खेलते हैं| पर ये खतरनाक खिलौने हैं| अमेरिकी राष्ट्रपति ने तो यहां तक दावा किया है कि उनका एटमी बटन किम जोंग के बटन से कहीं बड़ा है| इधर पड़ोस में पाकिस्तान हमे एटमी हौवा दिखा रहा है और नियंत्रण रेखा लगातार गोलाबारी के साथ अनियंत्रित रेखा में तब्दील हो गई है| सीमा-पार दहशतगर्दी जस की तस है| मानो खुद विनाश पर आमादा मानवता जलवायु परिवर्तन की चेतावनियों को एक बार फिर नजरअंदाज कर रही है| ऐसा लग रहा है कि यह दुनिया पृथ्वी को नहीं बचा सकती| टेक्नोलॉजी का सुपरफास्ट सफर जारी है और अब यह चौथी औद्योगिक क्रांति को अंजाम दे रही है| यह हमारी दुनिया को बेहतर जगह बना रही है, इनसानों को ज्यादा सेहतमंद, ज्यादा उत्पादक और उम्मीद है कि ज्यादा खुश भी बना रही है| मैं मानता हूं कि इस महामंथन ने पांच विरोधाभास भी हमारे सामने उछाले हैं जिनसे आगामी वर्षों में हमें निबटना होगा| हम उनसे कैसे निबटते हैं, इसी से 21वीं सदी की इबारत लिखी जाएगी| पहला सबसे खतरनाक विरोधाभास है आपस में बेइंतिहा जुड़ी हुई भूमंडलीकृत दुनिया में राष्ट्रवाद की वापसी| संरक्षणवादी ताकतें सिर उठा रही हैं| एक के बाद एक देश व्यापार, लोगों की आवाजाही, यहां तक कि विचारों की राह में रोड़े अटका रहे हैं| हमें एक करने वाली ताकतों के बनिस्बत अलग करने वाली ताकतें ज्यादा मजबूत हो रही हैं| हमारे जमाने के एक अद्भुत विचारक युवल नोआ हरारी ने 21वीं सदी के राष्ट्रवाद पर अपने विचार हमारे सामने रखे| दूसरा विरोधाभास लोकतंत्र पर मंडराते खतरे हैं| लोकतंत्र आजादियों का सुंदर पालना है| मगर इन आजादियों को कट्टरतावाद, बहुसंख्यकवाद और व्यापक असहिष्णुता के जरिए कमजोर किया जा रहा है| यह अनुदार और एक किस्म के लुंपेन लोकतंत्रों का उभार है| अब बात करते हैं भारत की| देश की जनता ने विकास की राह में प्रधानमंत्री के रूप में फिर से श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की है| लेकिन कुछ लोग इसे धर्म और जाति से जोड़ कर देखना चाहते हैं| कुछ धार्मिक उन्माद में फंसे या शिकार लोग इसे मानवता की राह से हटा कर एक धर्म या जातिविशेष से जोड़ कर देखना चाहते हैं| और यही चुनौती प्रधान मंत्री के लिए सबसे अहम् होगी| उनका यह नारा कि सबका विकास, सबका विश्वास ऐसे कारणों से टूटता नजर आता है| सदियों से पल-पल मरते लोगों में बदले की भावना का जन्म देश के विकास में रोड़ा बन सकता है| देश को निरंतर विकास की ओर अग्रसर करने की इच्छा रखने वाले नेताओं द्वारा ऐसे लोगों को दरकिनार करने की आवश्यकता है| खामोशी और निष्क्रियता से कट्टरता को और ताकत मिलती है| जैसा कि पिछले पांच वर्ष में दुनिया ने स्वयं देखा, कांग्रेस व उसके सहयोगियों के सत्ता से बाहर होते ही विवेकवान बहस की जगह संसद में शोर-शराबा और गाली-गलौच के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ| सत्तापक्ष को नीचा दिखाने की चाह में विपक्ष स्वयं अपने आचरण से नीचे गिरता चला गया| यहाँ तक कि इंसाफ के सबसे ऊंचे मंदिर सुप्रीम कोर्ट में जज खुलेआम एक-दूसरे से झगड़ रहे हैं| सियासतदां अफसरशाहों और कानून लागू करने वाले अफसरों के साथ मारपीट और हमले हो रहे हैं| लोकतंत्र के बदलते परिवेश में खुद को राजा समझने वाले, पद पर निरंतर बने रहने की चाह रखने वाले भ्रष्ट अधिकारी एवं जज अपना वर्चस्व बनाए रखने के प्रयास में जहाँ आतंकियों के लिए दिन में ही नहीं रात में भी सेवा प्रदान करने से गुरेज नहीं करते वहीँ भारतीय जनता के सपनों को साकार करने वाले मुद्दों को लटकाने की फिराक में रहते हैं| जिस कारण सरकार के साथ-साथ न्याय प्रबंधन का प्रबंध करने वालों का बदलाव एवं प्रशासनिक बदलाव भी अनिवार्य है| एक ही परिवार के प्रति अपनी निष्ठा रखने वाले लोगों को उनके पदों से च्यूत करने की आवश्यकता है| नहीं तो यही अफसरशाही वर्तमान जनता के कार्यों में रुकावट सिद्ध हो सकती है| किसी समय में इरान तक फैला हिंदुस्तान सिमट कर भारत के चंद राज्यों तक सिमित हो गया है| अल्पसंख्यक बहुलता को नकार अपना वर्चस्व बनाने के प्रयास में हैं| मुग़ल शासन की धरोहरों को बचाने के चक्कर में सनातन सस्कृति का खात्मा किया जा रहा है| और अपनी सत्ता के नशे में चूर पूर्व शासक इससे बेखबर देश की जड़ें खोने में लगे हैं| बाबर जैसे समुद्री लुटेरे को अपना मसीहा मानने वाले हिन्दूओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं| इसके लिए चाहे इन्हें नक्सलवाद या आतंकवाद का सहारा ही क्यों न लेना पड़े, लेकिन अब उम्मीद है कि हिंदुओं से भी पूछा जाएगा| कुछ मिडियाकर्मी इसे अल्पसंख्यक पर आघात सिद्ध करने में लगे हैं| उन्हें यह नहीं नजर आता कि भारत का सनातन धर्म खतरे में रहा, हिन्दू विरासतें मिटती जा रही है उस समय खतरा नजर नहीं आया| लेकिन अब जब सब पहले के समान होने की चाह मन में संजोये मूल भारतीय भारत निर्माण की और कदम बढ़ा रहा है तो उन्हें एक वर्ग खतरे में नजर आने लगा है| एक ऐसा वर्ग जिसने कभी आर्थिक, सामजिक उन्नति नहीं की| केवल जनसँख्या बढा कर देश पर आघात करने का ही कार्य किया है| एक समय था जब यही वर्ग कारीगर के रूप में दुनिया में विख्यात था लेकिन आज के समय में यही वर्ग अलगाववाद, भटकाव और आतंकवादी के नाम से जाना जाने लगा है| इस प्रकार के भ्रम को तोड़ कर, नक्सलवाद और आतंकवाद को त्याग कर दुबारा देश की तरक्की में साथ आने वालों का अब स्वागत हो रहा है| देश को मिटाने वाले हमले करने वाले कारणों को ख़त्म किया जा रहा है| देश में आर्थिक वृद्धि लाने के लिए स्वावलंबन व रोजगार सम्बन्धी योजनाएं चलाई जा रही है| देश के विकास में योगदान देने के लिए पहल इन्हें ही करनी होगी| यदि ये अपने पूर्व ढर्रे पर सोचते रहे तो ये पाकिस्तान की तरह दुनियां में अलग-थलग हो जायेंगे| इनको सोचना चाहिए आतंकवाद से अमीरी नहीं आ सकती, उसके लिए नियंत्रित व्यापार की आवश्यकता है| भटकाव छोड़ कर सौहार्द की आवश्यकता है| अब जबकि इसी बदलाव के साथ भारत विकसित देशों में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए अग्रणी की भूमिका निभा रहा है वहीँ अपनी गुंडागर्दी की सोच को विराम देकर अन्य नेताओं व प्रधान सेवकों को भी इसी कड़ी में जुड़ कर अपना योगदान देना होगा| अराजकता फैला कर, डर फैला कर सत्ता हासिल करने बारे सोचने वालों को बदलना होगा| अब जनता भ्रम में जीना नहीं चाहती| अब सभी जानते हैं देश का विकास ही सबका विकास है, देश का कल्याण ही सबका कल्याण है| सभी जन एक समान है तो सबके लिए सभी सुविधाएं भी समान है| किसी को जाति विशेष के कारण या धर्म विशेष के कारण विशेष अधिकार प्राप्त नही होंगे|
    13m 52s
  • Everyone in the picture of changing India

    16 JUN 2019 · बदलते भारत की तस्वीर में सब जन समान एक दौर था जब स्वेच्छा से या मजबूरी से जनता राजाओं के समक्ष मुजरा करती थी| दरबार में प्रस्तुत प्रत्येक व्यक्ति नजर और सर झुका कर अदब से खड़ा रहता था और पूछे जाने पर ही कम शब्दों में अपनी बात कहता था| यहाँ तक कि जनता में से भी यही कोई आवाज आती तो उसे बगावत अर्थात राजद्रोह के लिए दण्डित किया जाता था| दौर बदला तो जनता की सोच भी बदली| राजतंत्र ख़त्म हुआ और लोकतंत्र आ आरम्भ हुआ| इस बदलते दौर में जनता ने तो अपने अधिकारों को समझ लिया है लेकिन जनता द्वारा चुने जाने के बावजूद कुछ नेता खुद को स्वयंभू कहने से नहीं चूकते| वे आज भी राजाओ-महाराजाओं के समान जनता को नीच समझने की गलती करते हैं| चाहे कांग्रेस के भावी युवराज हों या बंगला देश से आकर पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी, सब खुद को जनता से भिन्न, जनता से श्रेष्ठ समझने की मिथ्या भूल कर रहे हैं| और यही कारण है कि अपनी सत्ता खो देने का डर ऐसे नेताओं में व्याप्त हो चला है| अहंकार में डूबे ये नेता अपनी सत्ता बचाने के लिए देश को राज्य को जाति/धर्म के युद्ध में झोंक कर अपनी राजनीति चमकाने में लगे है| हां! कुछ पिछड़े क्षेत्रों में जहाँ साक्षरता न के बराबर है वहां जनता को गुमराह कर चंद वोट एकत्रित किए जा सकते हैं| लेकिन यह सोचना कि उन्हें वोट देना जनता की मजबूरी है और कभी भी जनता को खरीद कर उस पर काबिज हुआ जा सकता है, यह इनकी सबसे बड़ी भूल है| और इसी भूल का नतीजा है बंगाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर कुछ असामाजिक तत्त्वों द्वारा लोकतंत्र की हत्या का प्रयास करना| राज्य में दंगे भड़काना| एक पिछड़े, निरक्षर, अल्पबुद्धि वर्ग विशेष को साथ लेकर अन्य सभी समुदायों को दरकिनार करते हुए अपनी प्रभुता का प्रदर्शन करना| जो कि दुनिया भर में निंदनीय हो रहा है| पूरी दुनिया में अपनी छवि खराब चुकी इंदिरा कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस अब सत्ता के हाशिये पर नजर आ रही है| जहाँ कांग्रेस का गढ़ कहलाने वाले अभेद किले उत्तरप्रदेश के अमेठी में शासकीय परिवर्तन आया है, वहीँ दंभ से भरी ममता के किले भी ढेर होते नजर आ रहे हैं| जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री तानाशाही दिखाते हुए जनता से दूर होती नजर आ रही है| गौरतलब है कि एक वर्ग समुदाय के लोगों ने हाल ही में अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डाक्टरों पर हमला कर पांच डाक्टरों को घायल कर दिया था| लेकिन पुलिस एवं मुख्यमंत्री द्वारा हमलावरों के खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर, उल्टा डाक्टरों को दोष देकर, अपने गुंडा गैंग को बचाने के पक्ष में नजर आना, सत्तापक्ष पर अब भारी पड़ने लगा है| क्योंकि सकते में आए डाक्टरों के अनिश्चित हड़ताल पर जाने से समूचे बंगाल पर असर पड़ने लगा है| कथित दीदी का सिहासन अब डोलने लगा है| क्योंकि भारतवर्ष के डाक्टर बंगाल के डाक्टरों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं| देश भर से बंगाल की मुख्यमंत्री के खिलाफ रोषपूर्ण यात्राओं का दौर आरम्भ हो चूका है| लेकिन कथित दीदी का अहंकार उसे झुकने नहीं दे रहा है, दीदी को आज भी यही लगता है कि वह अपनी गुंडागर्दी के दम पर कुछ हत्याएं करवा कर सभी को चुप करवा सकती है| इस मामले में आधे से अधिक जनता बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार के खिलाफ आपातकाल घोषित करना नैतिक और राजनैतिक दृष्टि से सही नहीं कहलाएगा| यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा मूकदर्शक बन हालात को संभालना और शान्ति बहाल करने के लिए प्रयास करना जिम्मेदारी एवं मजबूरी बन गयी है| दूसरी और अपने कथनों के चलते बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उर्फ़ कथित दीदी की जो जगहसाई हो रही है, वह कभी न धुलने वाला, इतिहास के पन्नो में दर्ज होने वाला एक मुख्यमंत्री के चरित्र पर पड़ा दाग है|
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  • अंग्रेजी शिक्षा से बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या

    11 JUN 2019 · अंग्रेजी शिक्षा से बढ़ रही बेरोजगारी की समस्या
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  • वहशियों को केवल हो फांसी की सजा

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