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The Mahabharata is one of the two major Sanskrit epics of ancient India. Traditionally, the authorship of the Mahabharata is attributed to Vyasa. With more than 74,000 verses, Mahabharata is...
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Mahabharata by Vyasa: The epic of ancien
Mahabharata by Vyasa: The epic of ancien
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कुत्तोंके प्रत्युपकार
14 JUL 2015 · एक बार दो कुत्ते गंगा स्नानार्थ साथ-साथ रवाना हुए। एक दिन किसी नगर में भूखसे व्याकुल हो कर दोनों अलग-अलग भोजनकी तलाश में गये। पहला श्वान एक ग़रीब ब्राह्मण के घर में गया वहाँ रखी हुई थाली में से रोटी खाने लगा। ब्राह्मण ने देख कर कुछ भी नहीं किया। दूसरा कुत्ता एक सेठ के घर घुस गया ,जहाँ पर बिना कुछ नुक्सान किये ही लाठीसे उसे अधमरा कर दिया गया। मिलने पर पहले कुत्ता इसका कारण पूछा , तब दुसरे कुत्ता ने बोला :- बिना बिगार मार भुगताई। मैं तो करवत लेसूँ भाई।। करवत लेह अवतरऊँ जाई। वान्ये के जनमूँ दुखदाई। । यह सुनकर पहले कुत्ता भी कहा :- ब्राह्मण सत्त कहा कूँ तोकूँ। दीन्हो नहीं कछु दुःख मोकूँ।। मैं भी करवत लेसूँ भाई। ब्राह्मण गृहे अवतरऊँ जाई। । पुत्र होय सुख भुगताऊँ। फलदायक ऎसे मन चाऊँ। ऐसा निश्चय करके दोनोंने काशी में करवत ली। दूसरा कुत्ता तो सेठके यहाँ उत्पन्न हुआ और जन्मसे ही सदा रोगी बनकर विविध प्रकारसे खर्च कराया। बड़ा होने पर , वह कभी बालोंको खींचता , कभी -कभी पत्थर मारता , तोड़-फोड़ करता। अंत में उसने एक दिन लाठीसे सेठ का मस्तक ही फोड़ डाला। इस प्रकार उसने अपना बदला लिया। पहला कुत्ता उसी ब्राह्मण के वहाँ पैदा हुआ। तत पश्चात ब्राह्मणको बड़ा लाभ होने लगा। कई लोग पर ऋण था , पर दे नहीं रहे थे , बिन माँगे स्वयं ही रुपये ला दिये। कई नये यज्ञमान हुए। पुत्रने भी पिता के आज्ञानुवर्ती बन कर , तथा धन कमाकर उसे अनेक प्रकार से सुख दिया। इस कुत्ता भी अपने प्रति किये हुए उपकार , दूसरा जन्म लेकर चुकाया। -
कुरूप ऋषियोंके शाप।
9 JUL 2015 · एक बार नन्दबाबा आदि गोपोंने , शिवरात्रिके अवसर पर अम्बिका वनकी यात्रा की। वहाँ उन लोगोंने सरस्वती नदी में स्नान करके , भगवान शंकर और माता पार्वतीजी का भक्तिभावसे पूजन किया। उस दिन वे लोग उपवास कर रखा था , इसलिए केवल जल पीकर , रातको नदीके तट पर ही , बेखाट के सो गए। वहाँ अम्बिका वन में , एक बड़ा भारी अजगर रहता था , जो बहुत ही भूखा था। उसने सोये हुए नन्दजी को पकड़ लिया। अपने प्राण रक्षा केलिए उन्होंने बड़ी दीनतासे भगवान् श्रीकृष्ण को ज़ोर ज़ोरसे पुकारने लगे। क्षण में ही श्रीकृष्ण वहाँ पहुँचकर , उस अजगरको अपने चरणकमलोंसे छू लिया। उनके चरणोंके स्पर्श होते ही , वह जीवी अजगर का शरीर छोड़ कर , तुरंत एक अतिसुन्दर रूपवान पुरुष बन गया। उसके शरीरसे दिव्यज्योति निकल रही थी। वह श्रीकृष्णजी को प्रणाम करने के बाद , हाथ जोड़ कर , उनके सामने खड़ा हो गया। तब भगवान ने पुछा । तुम कौन हो ? तुम्हें अजगरके निंदनीय योनि कैसे प्राप्त हुई ?जवाब में उसने बोला। भगवन। पहले मैं सुदर्शन नाम का एक विद्याधर था। मैं धन और रूप सम्पति से मत्त होकर , विमान द्वारा सम्पूर्ण दिशाओं में घूमता -फिरता था। एक दिन दौर्भाग्यवश , अङ्गिरा गोत्र के कुरूप ऋषियोंको देखकर , मैंने उनकी बहुत हँसी उड़ायी। तब उन्होंने शाप देकर मुझे अजगर के योनि में डाल दिया। उन कृपालु कुरूप महर्षियोंने , अनुग्रह केलिए ही मुझे शाप दिया था , जो आज उसी का प्रभाव हैं , कि साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरण कमलोंसे स्पर्श किया हैं। आज मेरे सारे अशुभ नष्ट हुए और मुक्ति भी प्राप्त हुआ। फिर सुदर्शन ने भगवान की प्रदक्षिणा की , उनके चरणों में मस्तक झुकाया और आज्ञा लेकर अपने लोक को प्रस्थान किया। नन्दबाबा एक भारी संकट से छूट भी गए।
The Mahabharata is one of the two major Sanskrit epics of ancient India. Traditionally, the authorship of the Mahabharata is attributed to Vyasa. With more than 74,000 verses, Mahabharata is...
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Author | Manoj Kurup |
Categories | Society & Culture |
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