8 DEC 2022 · *💐💐शिक्षा💐💐*
ये कहानी हमें इस बात की शिक्षा देती है कि शिक्षित होना नितांत आवश्यक है, यदि शंकर शिक्षित होता तो वो विप्र जी के नरक भय से कभी न डरता तथा स्वयं अन्नपूर्णा होते हुए सवासेर गेहुँ के बदले बंधुआ मजदूर न बन पाता। ये कहानी एक और बात दर्शाती है कि, जहाँ एक साल मेहनत करके शंकर 60 रूपये बचा सकता था तो थोङी मेहनत और कर लेता तो कर्ज से उऋण हो जाता। परंतु उसकी आशा निराशा में बदल गई जिससे उसने आगे मेहनत नही की।
कहते हैं, आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है। अतः आशावान व्यक्ति हर बाधाओं को पार कर सकता है।
Please like , share and comment