हम सभी अपनी अपनी यात्रा करते हैं, हम सब अपने अपने हमसफर हैं खुदही को सहारा देते हुए। हमारे संग चलने वाले लोग तो हैं, पर कुछ कारणवश यह साथ छूटता रहता है, और कारवां चलता रहता है। बहुत कुछ खोता जाता है, पर जीवनरूपी इस यात्रा में हम चलते रहते हैं - चलते रहना ही जीवन है।
हर बार किसी को विदा करते हुए हम निकलते हैं नई यात्राओं पर। और हर बार कुछ नया सीखते हैं - कुछ नया जीते हैं। पलों की खूबसूरती उसे देखने वाले की आँखों में होती है जो उन्हें खुद में कैद कर लेती हैं। तभी तो किसी का जाना भी खूबसूरत हो सकता है या फिर किसी का आना भी एक दुस्वप्न!
हम "कवि, कविता और वो" के माध्यम से लेकर आए हैं किताबगंज द्वारा लिखी गई बहुप्रसिद्ध "यात्रा" सीरीज।
आशा है आपको पसंद आएगी।
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