Dear School,
चूंकि अब अलविदा कह चलने का वक्त हो चला है – क्या वाकई फरबरी मौसम है अलविदा कहने का? तुमने तो कितनों को जाते देखा होगा? और तुम, चुपचाप यहीं खड़े देख रहे होगे रिश्ते बनते बिछड़ते। एक ओर जहां तुम हमें यूं अलविदा करोगे फरबरी में, वहीं अप्रैल में कुछ नयें आशियाने आएंगे और यह सफर फिर शुरू से शुरू होगा। फिर कोई स्कूल जानें से हिचकिचाएगा, और अंत तक आते आते तुम्हें खुद से छूटता देख हमारी तरह ही कोई नगमा गाएगा...
इस एपिसोड को बनाने में साथ मिला है - अनस अंसारी, अर्पित बाला सैनी, और अल्ज़ामा अंसारी का।
आशा है आपको यह एपिसोड पसंद आएगा।
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