जीवन का सबसे सुंदर पड़ाव है बचपन, जहां न आज की चिंता होती है और न आने वाले कल की। यही वह समय होता है, जब हम सूरज की चकमक रोशनी से जागते हैं और रात को चंदा मामा की लोरी सुन सोते हैं। याद आता है वह बचपन, जब नानी घर जाने के सपने संजोए जाते थे। दादी के हाथों से बने लड्डू तो हमारी जान हुआ करते थे। किसी ने ठीक ही कहा है कि बचपन कुदरत का दिया अनमोल तोहफा होता है।
जीवन का सबसे सुंदर पड़ाव है बचपन, जहां न आज की चिंता होती है और न आने वाले कल की। यही वह समय होता है, जब हम सूरज की चकमक रोशनी से जागते हैं और रात को चंदा मामा की लोरी सुन सोते हैं। याद आता है वह बचपन, जब नानी घर जाने के सपने संजोए जाते थे। दादी के हाथों से बने लड्डू तो हमारी जान हुआ करते थे। किसी ने ठीक ही कहा है कि बचपन कुदरत का दिया अनमोल तोहफा होता है।
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