पूरा एक साल बंधन खोलकर फुर्र हो गया! ऐसे लगता है कि अभी तो आया था नया साल, जब सबने मिलकर बीते साल का आकलन किया था! उस साल में ‘क्या खोया और क्या पाया’ का हिसाब लगाया गया था, नए साल के आगमन की खुशी में धूम मचाई गई थी, कितनों ने जमकर जश्न मनाया था, जाने कितनी मस्ती में सड़कों पर बेतहाशा वाहन दौड़ाए गए होंगे, कितने ही नए सपनों में डूब कर क्या-क्या खोजते रहे होंगे। और अब एक और साल निकल गया!
पूरा एक साल बंधन खोलकर फुर्र हो गया! ऐसे लगता है कि अभी तो आया था नया साल, जब सबने मिलकर बीते साल का आकलन किया था! उस साल में ‘क्या खोया और क्या पाया’ का हिसाब लगाया गया था, नए साल के आगमन की खुशी में धूम मचाई गई थी, कितनों ने जमकर जश्न मनाया था, जाने कितनी मस्ती में सड़कों पर बेतहाशा वाहन दौड़ाए गए होंगे, कितने ही नए सपनों में डूब कर क्या-क्या खोजते रहे होंगे। और अब एक और साल निकल गया!
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