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Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
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9 JAN 2025 · मैं घर पर आकर अपना कोट उतार कर खूंटी पर टांग देता हूं। असल में मैं, ख़ुद ही वहां उस कोट के साथ टंग जाना चाहता हूं पर घर में मेरे लिए इतनी जगह मयस्सर नहीं है।
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18 DEC 2024 · सुबह उठने के साथ ही यही एक मात्र चिंता कि मैं दिख नहीं रहा, मैं बिक नहीं रहा, FoMo का शिकार मैं, गैलरी खंगाल कर एक पोस्ट का इक़बाल बुलंद करता हूं। मेरे वजूद के लिए चलो कोई तो लड़ रहा है। अब मेरी ओर झांकोगे तो मुझे भी जिंदा पाओगे।
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13 DEC 2024 · जब तुम ठुकरा देते हो, एक गोल रोटी को, तो तुम ठुकरा देते हो बहुत से लोगों की मेहनत।
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29 NOV 2024 · मैं गिरता जा रहा हूँ, साल दर साल। झुकी नज़रें, झुकी कमर, एक झुका हुआ इंसान। कोई प्रतिक्रिया देने में इच्छुक नहीं, दुनियां जाए भाड़ में। जीभ पर फैला कड़वापन कुछ भी बोलने से रोकता है। बोलूंगा तो वो तीखा ही होगा।
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29 NOV 2024 · जिस दिन मालिक घिसाई को नीलम दे देता, उसे ख़ुद की सुध बुध न रहती, उसकी हालत, देसी दारू के ठेके के बाहर उकडू बैठे, दारुड़ियो सी हो जाती।
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29 NOV 2024 · कुछ टिकट मेरे जीवन में धरे के धरे रह गए। उन पर मैने यात्रा नहीं की। कभी–कभी सोचता हूं यदि कर ली होती तो जीवन क्या होता? क्या मैं वही आदमी रहता जो अब हूं?
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29 NOV 2024 · कुछ अजीब प्यार है अपना। जो तुम्हारे आते ही ऑटो के मीटर सा डाउन हो जाता है। तुम जल्द चले जाओगे, बस यही सोचता चला जाता है।
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26 NOV 2024 · कुछ लड़कों को लड़कियों के घर के अंदर तक आने देना चाहिए ताकि उनके मां बाप भी देख सकें कि दुनियां में अभी भी अच्छे लड़के बचे हैं। कुछ लड़कियों को खुल कर हंसना चाहिए ताकि और लड़कियों को भी पता चले कि जीवन मुस्कुरा कर भी जिया जा सकता है।
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26 NOV 2024 · एक पुरुष का प्रेम स्त्री के लिए सर्वथा भिन्न होता है। पुरुष प्रेम दर्शाने के लिए अपनी इंद्रियों का इस्तेमाल करता है। वो औरत को छू कर बताता है कि उसे उस औरत से कितना प्रेम है।
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26 NOV 2024 · सुनों! तुम कुछ भी कर लेना पर इस छवि को मेरे मन से मत निकलने देना। नहीं मांगता मैं जन्म भर का साथ। न ही तुम पर कोई अधिकार मांगता हूं। जो मांग ही लिया तो फिर प्रेम कैसे हुआ?
Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
Information
Author | Lokesh Gulyani |
Organization | Lokesh Gulyani |
Categories | Philosophy |
Website | - |
lokesh.gulyani@yahoo.in |
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